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Modern Meera

Drama

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होठ के रंग

होठ के रंग

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हाय कौन सा रंग भर गए

मोहन हमारे होठ में

आईना चुप हो गया है

सखियाँ गयी सब रूठ के


धो धो के, पोंछ पोंछ कर

थक के अब मैं हारी रे

अब तो सारे जग ने जानी

मैं श्याम, तोरी बावरी रे


किस जन्म का बैर है जो

इतना सताते हो हमें

बांसुरी की धुन पे लाखों

रतियाँ जगाते हो हमें


मारे जलन उस बांसुरी के

अब मरी जाती हूँ रे

होठ पर तुझको धरे

तेरी हुए जाती हूँ रे।


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