Modern Meera
Drama
मोहे रंग गए मोहन रंगीले
हरे पीले लाल नीले
अब न धोये, छूटती है
श्याम पक्के, सारे फ़ीके
एक मीरा , एक कान्हा
मैं तो बस तेरी बावरी रे
कौन जाने दिवस रैना
प्रीत हर दिन, होरी रे
प्रीत हर दिन, होरी रे।
बस रौशनी
एक बूँद तेरे ...
कुछ अनमने सला...
इश्क़ की इनाय...
मैं तो श्याम ...
होरी रे
होठ के रंग
बीस से तीस तारीख के सफर का आखिरी पड़ा मोबाइल का संदेश फिर सुकून दे देता है। बीस से तीस तारीख के सफर का आखिरी पड़ा मोबाइल का संदेश फिर सुकून दे देता ...
इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी। इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी।
लगा रहा था मरहम रिसते घावों पर आज पीड़ा कुछ कम थी। लगा रहा था मरहम रिसते घावों पर आज पीड़ा कुछ कम थी।
ये प्रेम प्यार में पगी रचनाएँ महज चंद शब्द नहीं हैं...। ये प्रेम प्यार में पगी रचनाएँ महज चंद शब्द नहीं हैं...।
नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला... नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला...
हम हारे 'चौकीदार' की 'लहरों' में, तुम भी हुई उसमें फेल प्रिये... हम हारे 'चौकीदार' की 'लहरों' में, तुम भी हुई उसमें फेल प्रिये...
इतना कह खुद ही हँस देती है अपनी बातों पर थोड़ी पगली है वो। इतना कह खुद ही हँस देती है अपनी बातों पर थोड़ी पगली है वो।
क्योंकि मैं तेरी माँ हूँ, आखिर मैंने ही तो संवारा है तुझे। क्योंकि मैं तेरी माँ हूँ, आखिर मैंने ही तो संवारा है तुझे।
अरे ! अरे भाई, कचरा कुड़ेदान में तो डालते जाते। अरे ! अरे भाई, कचरा कुड़ेदान में तो डालते जाते।
सब शांत, सब मौन और एकांत खोजता जीवन। सब शांत, सब मौन और एकांत खोजता जीवन।
ऐसे तो कई और संबंध हैं, जो इस जग की बुनियाद हैं, जो हम सबको जोड़े रखते हैं, और अंजाने में ह... ऐसे तो कई और संबंध हैं, जो इस जग की बुनियाद हैं, जो हम सबको जोड़े रखते हैं...
ज़िंदगी की उलझनों से भी कुछ यूँ ही लड़ पड़ते हैं, फिर कदम बढ़ाते हैं, चाहे मंज़िल आँखों से ओझल हो... ज़िंदगी की उलझनों से भी कुछ यूँ ही लड़ पड़ते हैं, फिर कदम बढ़ाते हैं, चाहे मंज़िल आँ...
उदासियों को वो मेरे करीब ना आने देता... उदासियों को वो मेरे करीब ना आने देता...
सो अब सोचो हँसना क्या इतना आसान है ? कतिपय नहीं। सो अब सोचो हँसना क्या इतना आसान है ? कतिपय नहीं।
तू जो है साथ तो ये सांसें चल रहीं हैं, तू ना होगा तो ये सांसें थम जाएंगी... तू जो है साथ तो ये सांसें चल रहीं हैं, तू ना होगा तो ये सांसें थम जाएंगी...
शांत वातावरण, बारिश की आवाज़; आहिस्ता चलती ठंडी हवा और सिर्फ तुम, पन्ने और कलम... शांत वातावरण, बारिश की आवाज़; आहिस्ता चलती ठंडी हवा और सिर्फ तुम, पन्ने और कलम.....
खुद को सभ्य दिखाते हो, सच में तो हमसे ज्यादा जंगली हो... खुद को सभ्य दिखाते हो, सच में तो हमसे ज्यादा जंगली हो...
जिसके हाथों में जादू है वह जादू ना दिखलाएं क्यों ? जिसके हाथों में जादू है वह जादू ना दिखलाएं क्यों ?
इन तज़ुर्बे की आँखों से देखो ज़रा, ज़िंदगी भर का 'मंज़र' दिखातीं हमें। इन तज़ुर्बे की आँखों से देखो ज़रा, ज़िंदगी भर का 'मंज़र' दिखातीं हमें।
वह सदी बदल देती या स्वयं बदल जाती या जीते जी मर जाती। वह सदी बदल देती या स्वयं बदल जाती या जीते जी मर जाती।