"होंसले की उड़ान"
"होंसले की उड़ान"
एक लड़की लक्ष्मी अभी-अभी
अठारह वर्ष की हुई थी।
वह सदैव मर्दाना कपड़े पहनती थी।
और सदैव मर्दों के साथ रहती थी।
औरत होकर भी मर्दाना स्वभाव की थीं।
परन्तु उसका विवाह तय नहीं हों रहा था।
उससे कोई मर्द शादी नहीं करना चाहता था।
क्योंकि वह स्त्री स्वभाव कि नहीं थीं।
घर में चूल्हा चौका भोजन बनाने का काम
नहीं जानती थी।
घरेलू महिला जैसे काम करने उसकी पसंद नहीं थें।
इसलिए लक्ष्मी सीधा बोलतीं थी।
कि मेरे से शादी करने वाला शख्स मेरी
निजी जिन्दगी मर्दाना स्वभाव में दखल नहीं देगा।
मैं सिर्फ उसी के साथ शादी करूंगी।
यह सब कुछ बातें चल रही थी।
प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था।
लक्ष्मी की शादी कि इच्छा पूरी नहीं हुई।
और एक दिनअचानक तेज़ पेट दर्द से उसकी मौत हो गई।
ऐसे होंसले कि उड़ान वाली परी संसार से चल बसी।
गमगीन माहौल में उसका अंतिम संस्कार किया गया।
