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PRATAP CHAUHAN

Abstract

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PRATAP CHAUHAN

Abstract

होना चाहिए

होना चाहिए

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उम्र के हर मोड़ पर, 

महफ़िल हसीन चाहिये 

रंग हों उमंग के,  

बस मौज होनी चाहिये I 


मिले अगर मुफ्त में तो,

सुकून मिलना चाहिये I

अंदाज ऐसा चाहिये,

जन्नत भी झुकनी चाहिये II 


 जिन्दगी संघर्ष है तो,

 हर्ष होना चाहिये II

उमंग का त्यौहार तो,

हर वर्ष होना चाहिए II


एक पल की जिंदगी, 

उत्कर्ष होना चाहिए

जिन्दगी संघर्ष है तो,

हर्ष होना चाहिये II


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