होली के दोहे
होली के दोहे
होली होली है रई, मनुआ लगे उदास।
प्यार भाव दिखता नहीं, होली कैसी खास।
ताऊ से तिगड़ी चले, ना बैठे है पास।
होली सेउ उल्लास कौ , है गयो सत्यानाश।
चाचा से बोले नहीं, अपन भतीजा खास।
होली में रस होयना , कर रक्खो है नाश।
हो रही दहन होलिका, कटती सकल क्लेश।
होली सही न जब तलक ,वैर भाव है शेष।
कोउ काउ तै भी लडै, काउ तै बिलगाये
तब सुओम हमको भला, होली कहाँ सुहाय।