होली और तेरा सौंदर्य
होली और तेरा सौंदर्य
इस होली कौन सा रंग
लगाऊं तेरे गालों पे
हर बार रंगों को चुनने
दुविधा में हूं सालों से।
मिलावटी रंग बाजार का
तेरे चेहरे पर नहीं भाता है
तेरे सौंदर्य को बिगाड़ देता
धोने से भी नहीं जाता है।
कुदरती रंग है तेरी सुंदरता
वहीं रंगू खेत खलिहानों में
अपने प्यार का उपहार दूं
होली मनाऊं तेरे ठिकानों में।
तेरे चेहरे को बेरंग करना
मैंने कभी नहीं चाहा होगा
हां एक टीका जरुर लगाऊं
बुरी नजर जब डाला होगा।

