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Anuradha Keshavamurthy

Abstract

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Anuradha Keshavamurthy

Abstract

होली आज फिर आयी रे।होली आज फिर आयी रे। आया है फागुन माह, कोयल पंचम गायी रे। रंगों की बहार लिए, होली आज फिर आयी रे। पपीहे की आलाप में मत्त, मोरनी बाग में नाची रे। रंग - उमंग संग लिए, शुभ मिलन की होली आयी रे। झूम रहा है सखा प्यार से, साथ सखी सज आयी रे। घुले रंग अंग अंग में गुलाल, अब सुख की झोली लाई रे। भीगी ओढ़नी, भीगी चुनरी, लाज से सखी सर झुकाई रे। नित प्यार के सतरंग लिए, मधु माह की ख़ुशियाँ लाई रे। मिले सतरंग प्रकृति में होली की उमंग छायी रे छोड के मन का राग द्वेश प्रीत की रीत बतायी रे। त्यजकर तर-तम की कालिमा, समरस की बोली लाई रे। राधा-श्याम सी प्रेम ज्योत लिए, होली आज फिर आयी रे। -अनुराधा के, मंगलूरु

होली आज फिर आयी रे।होली आज फिर आयी रे। आया है फागुन माह, कोयल पंचम गायी रे। रंगों की बहार लिए, होली आज फिर आयी रे। पपीहे की आलाप में मत्त, मोरनी बाग में नाची रे। रंग - उमंग संग लिए, शुभ मिलन की होली आयी रे। झूम रहा है सखा प्यार से, साथ सखी सज आयी रे। घुले रंग अंग अंग में गुलाल, अब सुख की झोली लाई रे। भीगी ओढ़नी, भीगी चुनरी, लाज से सखी सर झुकाई रे। नित प्यार के सतरंग लिए, मधु माह की ख़ुशियाँ लाई रे। मिले सतरंग प्रकृति में होली की उमंग छायी रे छोड के मन का राग द्वेश प्रीत की रीत बतायी रे। त्यजकर तर-तम की कालिमा, समरस की बोली लाई रे। राधा-श्याम सी प्रेम ज्योत लिए, होली आज फिर आयी रे। -अनुराधा के, मंगलूरु

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आया है फागुन माह,

कोयल पंचम गायी रे।

रंगों की बहार लिए,

होली आज फिर आयी रे।


पपीहे की आलाप में मत्त,

मोरनी बाग में नाची रे।

रंग - उमंग संग लिए,

शुभ मिलन की होली आयी रे।


झूम रहा है सखा प्यार से,

साथ सखी सज आयी रे।

घुले रंग अंग अंग में गुलाल,

अब सुख की झोली लाई रे।


भीगी ओढ़नी, भीगी चुनरी,

लाज से सखी सर झुकाई रे।

नित प्यार के सतरंग लिए,

मधु माह की ख़ुशियाँ लाई रे।


मिले सतरंग प्रकृति में

होली की उमंग छायी रे

छोड के मन का राग द्वेश

प्रीत की रीत बतायी रे।


त्यजकर तर-तम की कालिमा,

समरस की बोली लाई रे।

राधा-श्याम सी प्रेम ज्योत लिए,

होली आज फिर आयी रे।          


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