रहे शाश्वत सदा के लिए बेटियों की संतति
रहे शाश्वत सदा के लिए बेटियों की संतति
शतरूपा का मन्वंतर की अविराम वाहिनी
वंश वृक्ष पल्लवित करने वाली संजीविनी
गृह द्वय प्रज्ज्वलित है सार्थक ज्योति
बिन बेटी मनुकुल की है न कोई नियति
है माता से भी बड़ा ममता का स्रोत
सँजोती है आस्था परिवार का सद्योत
अनोखे वात्सल्य की उज्ज्वल फुलझड़ी
है ये द्वि वंशों के सम्मिलन की प्रबल कड़ी
धारा वात्सल्य की नित हर पल बहाती
सुयोग से ही है किसी के घर बेटी पलती
सदैव है माता-पिता का आत्मिक सहारा
बेटी तो है घर-आँगन का स्वर्णिम उजियारा
बेटों से भी ज्यादा रखती है माँ-बाप का सम्मान
बढ़ी है अब जग में बेटियों की हर क्षेत्र में शान
रहे शाश्वत सदा के लिए बेटियों की संतति
है विधाता से माताओं की हर पल की विनती।
