STORYMIRROR

Anuradha Keshavamurthy

Inspirational

4  

Anuradha Keshavamurthy

Inspirational

है कहाँ तेरे वर्चस्व?

है कहाँ तेरे वर्चस्व?

1 min
333


जन्म से ही प्राप्त है तुझे माँ की ममता। 

सहोदरा की वात्सल्य की अविरत सरिता।

अर्धांगिनी की धर्मार्थ,काम-मोक्ष का नाता।

लक्ष्मी सी तनया, जो तव हृदय संजाता।

 

किया था मनु ने मेरे स्वतंत्रता का हरण,

सौंपकर पिता,पति अरु पुत्र को आमरण।

बीत गए है अब यूँ ही खूब सारे मन्वंतर,

नारी अस्मिता भी बदली है नित निरंतर।

 

अबला नहीं हूँ अब, सारी क्षेत्र में हूँ मैं सबला,

लक्ष्य प्राप्ति की ओर हूँ सदा अग्रसर मन चला।

छोडो अब अपना पुरुषत्व का अहंकार,

हे पुरुष मेरी अस्मिता को करो अब तुम स्वीकार।

 

हूँ मैं स्वयं नारायणी, तेरे भव तारिणी,

अहर्निशि तेरे सकल कार्य संचारिणी।

बिन मेरे है न कभी रहा तेरे अस्तित्व,

हे पुरुष अस्तित्व बिन है कहाँ तेरे वर्चस्व?


 

 

 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational