प्रेम दीप जलाओ.... सजना
प्रेम दीप जलाओ.... सजना
मेरे प्रेमालय के द्वार पर आगत,
हो तुम प्रेम पुजारी, अविरत।
दिव्य दीपावली की इस शुभ घड़ी में,
प्रेम दीप जलाओ.... सजना।
मन के सारे दुःख-दर्द मिटाकर,
तेरे हृदय के आंगन में बसाकर,
पल-पल आनंद रूपी दीप लिए,
प्रीत की ज्योत जगाओ.... सजना।
काम के अंधकार मिटाकर,
प्रेम की बाती नित लगाकर ,
तेरे प्यार के अमृत दीये से,
प्रज्वल करा दो जीवन ज्योति... सजना।
नश्वर जीवन की दुष्कर राह में,
मन के तम को सदैव मिटाकर।
हर घड़ी में नित आभा जगाकर,
प्रेम का दीया सदैव जलाओ.... सजना।
भव के अंधकार हर पल भगाकर,
सुप्त चेतना सर्वदा मन में जगाकर।
मेरे प्यार के मंदिर के द्वार पर,
समरस की शमा जलाओ ....सजना।
भव्य दीपावली की इस अमृत वेला में,
मेरे हृदय मंदिर के खुले फाटक में,
नित प्रकाश की फुलझड़ियों से,
चिराग जलाओ प्यार का.... सजना।