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Baman Chandra Dixit

Romance

5.0  

Baman Chandra Dixit

Romance

हो सके अगर

हो सके अगर

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तेरे प्यार का मारा हूँ

मेरे यार मुआफ़ करना

ना हूँ बस में अपनी

मेरे यार मुआफ़ करना।


ना अख़्तियार खुद पे

जुदाई सहा नहीं जाता,

बिन तेरे पल कोई भी

दूभर सा क्यों लगता!

छलकती बेरुखी हूँ मैं

मेरे यार मुआफ़ करना।


लाचार हूँ तेरे प्यार से

ख़ारिज़ कभी ना करना,

मुरीद हूँ मुहब्बत का

अरजी ना ठुकराना।

बेख़बर बेसबर ज़रा सा

मेरे यार मुआफ़ करना।


मत देखो मुझ में इतना

ऐब ऐतराज़ है बहुत,

ख़त हूँ मैं वही पुराना

एहसास क़ैद बहुत।

बदरंगी लिहाफ़ लेकिन

मेरे यार मुआफ़ करना।


कितनी भी नाराज़गी कुबूल

तेरी हर फैसला मंजूर

इतना बेगैरत ना समझ

तेरी फिक्र से परेशाँ ज़रूर।

तड़पता तांडव हूँ मैं

मेरे यार मुआफ़ करना।


तेरे प्यार का मारा हूँ

मेरे यार मुआफ़ करना।


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