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Ervivek kumar Maurya

Romance Tragedy

4  

Ervivek kumar Maurya

Romance Tragedy

हमसफर माना था

हमसफर माना था

2 mins
315


क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था 

संग रहकर भी मुझको क्या हमसफर माना था 

जब तुमने पास आकर इश्क का इजहार किया था

 वह चाहत थी या सिर्फ एक दिखावा था


 हमको अब लगता है वह एक छलावा था 

क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था

तुम तो कहते थे सांस लेने में भी तुम जरूरी हो

 जिंदगी मेरी तुम मेरे लिए तुम जरूरी हो 


मौत से भी लड़ना पड़े तो मैं लड़ जाऊंगी

तुझ से दूर एक पल भी ना रह पाऊंगी 

हमको अब लगता है छल का ओढ़ रखा पहनावा था

क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था


सच बता दो क्या वो रातें सारी झूठी थीं 

जब शबनम पर शोला की चिंगारी टूटी थी

 याद होगा बाहों में आकर कई कसमें खाई थी

 तू मेरे संग संग चलती तू मेरी परछाई थी


 हमको अब लगता है मेरा हमदर्द तू सिर्फ दिखावा था

क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था

गैरों से भी तुम मुझको बात ना करने देते थे 

अपनी नजरों से सिर्फ मुझे देखा करते थे


 तेरी निगाहों ने कब करवट बदल ली बता दे मुझको 

थे तुझ में कितने और ऐब अब भी बता दे मुझको 

हमको अब लगता है तूने प्यार का लगाया सिर्फ मुखौटा था

 क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था


तुम तो कहती थी जान भी दे दूंगी तुम्हें

 हद से ज्यादा सनम प्यार करूंगी तुम्हें 

उदास होना ना ना कभी रोना तुम 

दुनिया की सारी मुस्कुराहटें दे दूंगी तुम्हें 


 हमें लगता है वह बेवजह मेरा दीवाना था

 क्या तुमने कभी मुझको अपना माना था 

संग रहकर भी मुझको क्या हमसफर माना था।


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