❣हमनवां मेरे
❣हमनवां मेरे
आब-ए-आईना है हुस्न तेरा
आफत़ाब भी रश्क तुझपे करता है
अब्र की ओट से निहार तुुझे
अमलन अशफ़ाक तेेेेेरी चाहता है।।
पोशीदा रह कर जान-ए-जिगर
मुझ शै को पल पल लुुुभाती हो
इल्तिज़ा इतनी सी है दीवाने की
रहना रूबरू उन ख्वाबोंं में सारे
संग तेरे जो मैैं अक्सर सजाता हूँ।।
अज़ल अल्फ़ की मेेेरी कामना
मिन्नत इतनी अल्फ़ाज बने रहना
कहना तुझसे इख्लास है जानम
पर अब तो बस खुुुदा से कहता हूँ,
कद्र करता हूँ मालिक तेेेरे मुुुआफिक उसे
है गुनाह-ए-अजीम क़बूल यह
हमनवां मेरे बस सदके तेेरे।।

