हमें तो चाहिए जीने का बहाना
हमें तो चाहिए जीने का बहाना
आधा हकीकत हो या आधा फ़साना।
हमें तो चाहिए बस जीने का बहाना।।
तुम उदास बैठे रहो हकीकत की चाह में।
हम मिल लेंगे हकीकत को कहीं राह में।।
कदम बढ़ गये हैं तो हमें है बस जाना।
अपना तकदीर तो हमें खुद है बनाना ।।
आधा हकीकत हो या आधा फ़साना ।
हमें तो चाहिए बस जीने का बहाना ।।
समय रुकता नहीं इंतजार किसी के करने से ।
जीवन होता है गुलजार सप्तरंगी रंग भरने से ।।
आशा दीप जल रहा मुझे तम है भगाना।
मंजिल की राह पीछे छोड़ दूँ चलेगा जमाना।।
आधा हकीकत हो या आधा फ़साना।
हमें तो चाहिए बस जीने का बहाना।।
अकेला पंछी उड़ चला मुक्त हो गगन में।
हौसला भी जुड़ चला लुप्त हो लगन में ।।
फिर अपना ही घर लगे सारा जमाना।
चमन चमन गूंज रहा प्यार का तराना।।
आधा हकीकत हो या आधा फ़साना।
हमें तो चाहिए बस जीने का बहाना।।
धर्म से न अधर्म से किसी को न चोट लगे ।
कर्म से न अकर्म से भाव मेरा न खोट लगे।।
सच छुपाने के खातिर न करना पड़े बहाना।
जाने क्या है जग ये हकीकत या फ़साना।।
आधा हकीकत हो या आधा फ़साना।
हमें तो चाहिए बस जीने का बहाना।।