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Supriya Devkar

Tragedy

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Supriya Devkar

Tragedy

हमे फ़ुरसत नहीं

हमे फ़ुरसत नहीं

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सुबह सुबह तो पहले भी उठते थे हम 

टिफिन के साथ नाश्ता बनाते थे हम 

आज सारे सुस्त पड़े है घर में फिर भी 

हमे फ़ुरसत नहीं है देर तक सोने की


चाय की खुशबू से उठकर बैठते है सब 

चुस्कियाँ लेकर चाय नाश्ता करते है सब

प्यालियों का ढेर लगाते है फिर भी

हमे फ़ुरसत नहीं है नाश्ता खाने की 


खाना बनाना काम है रोज का हमारा 

फर्माईशे इतनी क्या क्या करे ये दिल बेचारा 

रोज बनाते है चिजे इतनी फिर भी 

हमे फ़ुरसत नहीं है पसंदीदा बनाने की 



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