हमारी भूल
हमारी भूल


उंगली पकड़ के तुमने चलाया,
हर दुख तुमने सुख बनाया।
रातों को जब माँ पुचकार कर
सुलाती,
सुबह बाप की बांहें मुझे झूला
झूलाती।
कभी कोई ख़्वाहिश ना मेरी मारी,
डाल दी झोली में ख़ुशियाँ सारी।
तिनका तिनका जोड़ कर हमको
तुमने बड़ा किया, एक सुंदर सा
आशियाना तुमने खड़ा किया।
ना कोई चीख ना चिल्लाहट,
ना कभी डांट तुमने लगाई।
बड़ों का आदर, छोटो से प्यार सीख,
सदा तुमने हमें सीख सिखाई।
मुसीबत के सामने ना घबराना,
डट कर करो उलझन का सामना।
हर दुख में रखना संयम,
एक ही सिक्के के दो पहलू ,
खुशी हो या हो ग़म।
हमेशा रहो सब की सेवा
को तत्पर
सब का हाथ खूब बटाओ।
दोनों हाथों से तुम जी भर के,
ख़ुशियों के मोती बिखराओ।
हँसते गाते बचपन बीता,
फिर आ गई हम पर जवानी।
पर हम उनको समय ना दे पाए,
हुई हमसे यह नादानी।
आज जब हमारे बच्चे,
हमसे दूर हो जाते हैं।
कुछ कहते रह जाते हम,
वह उठ कर चले जाते हैं।
कभी बेटा पास बैठो,
ऐसे तुम ना हमसे रूठो।
कभी हमारी सुना करो,
कुछ अपनी कहा करो।
एक दिन तुम्हें छोड़, हम
यूं ही चले जाएंगे।
फिर हम तुम्हें बहुत याद
आएंगे।
ढूंढोगे वह आँखें, जो जब भी
देखती थी तुमको हँसते यूं ही
भर जाती थी,
हाथ उठ जाते थे दुआ मांगने,
और तुम्हारी मुराद पूरी हो जाती थी।