हमारे सरीखा ज़माना नहीं है
हमारे सरीखा ज़माना नहीं है
हमारे सरीखा ज़माना नहीं है ।।
हमारे लबों पर तराना नहीं है ।
पुराने ज़माने का है यह फ़साना,
मगर दिल हमारा पुराना नहीं है ।
हमें है निभानी यहीं पर सभी से,
मगर अब किसी का ठिकाना नहीं है।
बहुत से पड़े हैं ख़जाने जहां में,  
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हमें चाहिए वो ख़जाना नहीं है ।।
सभी मनचले दिल यही है लगाते,
हमें दिल यहां पर लगाना नहीं है।
तुम्हें तो मोहब्बत निभानी है सबसे,
मोहब्बत का मतलब सिखाना नहीं है।
हमारे ज़हन में बसी है हसीना,
किसी से हमें तो छुपाना नहीं है ।