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Neeraj pal

Inspirational

4.5  

Neeraj pal

Inspirational

हमारा वर्तमान।

हमारा वर्तमान।

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आस्तिकता की कमी के कारण, त्रासदी से भरा सकल संसार है।

भौतिक समृद्धि, शस्त्र बल भी, नतमस्तक हुआ अहंकार है।।


 बुद्धिमत्ता का गुमान था जिनको, अदृश्य सत्ता का करते पुकार हैं।

आत्मिक सत्ता से थे बेखबर, करते अब उसका सत्कार हैं।।


भोगवादी मनोवृति, संकीर्ण व्यक्तिवादिता, वैश्विक त्रासदी का परिणाम है।

अतिवादिता का कुफल ही बनता, कामोत्तेजना, हिंसा जैसे दुष्परिणाम हैं।।


आस्तिकता को रक्षा कवच तुम जानो, विश्व मानवता का करता कल्याण है।

पारस्परिक सद्भाव और समरसता, परमात्मा का अभय दान है।।


आत्मोन्मुखता बढ़ती ही जाती, ईश्वर का जो करते सम्मान है।

एकाग्रता से मानसिक विश्राम है मिलता, सुख रुपी वरदान है।।


संसार का अस्तित्व परमात्मा से होता, आस्तिकता की यही पहचान है।

निर्भयता और प्रेम से वह जीता, ईश्वरीय सत्ता का उसे भान है।।


 प्रभु स्मरण स्वार्थ बन जो जीते, हारे का हरिनाम है।

 घोर आत्मरति में डूबा वह फिरता,आत्मघात को देता अंजाम है।।


 सकारात्मक विधि साधना की अपना ले, मात्र यही समाधान है।

 मन के मालिक तुम तब होगे, गुरु बड़े ही कृपा निधान हैं।।


 फऩा कर दे अपने को गुरु चरणों में, सब पर रखते ध्यान हैं।

" नीरज" सद्गुरु का ध्यान तू कर ले, मनोबल का देते वरदान हैं।।



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