हम
हम
मैं और तू जब एक हो जाते
मिलकर तभी सम्पूर्ण हैं कहलाते
मानव से जीवों तक 'हम' बनकर ही
इस सृष्टि को है बनाया
फूल, पेड़ फल सबने 'हम' बनकर ही
इस प्रकृति को सजाया
बढ़ता वह देश आगे
जिसमें सब 'हम' हो जाते
हर रिश्ते की नींव में 'हम' बनकर
अहम भूमिका है निभाते
सूरज चँदा ने 'हम' बन जब हाथ मिलाया
अस्तित्व में दिन रात का समय चक्र आया
ॠतुओं ने भी थाम बारी बारी से
इक दूजे का हाथ
बनी हमारे जीवन जीने का वह आधार
एडम ईव के साथ 'हम' फल बनकर
इस धरती पर आया, खाते ही इस फल को
पूरा ब्रहमांड 'हम' में ही समाया।।
