हम सब
हम सब
रंग बिरंगे फूल हैं हम सब डाली पर मुस्काते हैं
झूम झूमकर मस्त पवन में हम सौरभ पहुंचाते हैं।
रंग बिरंगे
'प्रकृति संपदा' कहलाते हैं धरती पर बल खाते हैं
हम हैं बच्चों सूरज दादा रोज सुबह को आते हैं
किरणों के संग सप्तरंग ले जग रोशन कर जाते हैं
नमन करे ये दुनिया हमको इसीलिये इतराते हैं।
रंग बिरंगे
प्रकृति संपदा' कहलाते हैं धरती पर बल खाते हैं
हम हैं बच्चों चंदा मामा शीतल कदम बढ़ाते हैं
रोज रात को दूर गगन में चम चम चम मुस्काते हैं
मुझमे सिमटी कथा कहानी सारे ही दोहराते हैं।
रंग बिरंगे
प्रकृति संपदा' कहलाते हैं धरती पर बल खाते हैं
हम हैं बच्चों जीव जंतु गण, हरे भरे प्यारे वन उपवन
हमसे गहरा नाता सबका हमी संवारे तन और मन
स्वच्छ , स्वस्थ जीवन की नींव डाल डाल बल खाते हैं।
रंग बिरंगे
प्रकृति संपदा' कहलाते हैं धरती पर बल खाते हैं
हम हैं तोता, मैना, चिड़िया, शेर, हिरन,भालू, बंदर
तुम सब बाहर मस्त मजे में हम क्यों पिंजरे के अंदर ?
प्रश्न उठे हैं रह रह मन में तूफां रोज उठाते हैं।
रंग-बिरंगे
प्रकृति संपदा' कहलाते हैं धरती पर बल खाते हैं।