हम सब आत्मा मातृभूमि की
हम सब आत्मा मातृभूमि की
हम सब आत्मा मातृभूमि की,
हम सब इसकी जान हैं ।
हम ही इसके कर्मठ सुत,
इसके गौरव की शान हैं।
चित्रकार इस उजड़े भारत,
की उज्ज्वल तस्वीर के ।
शिक्षित स्वस्थ निरोगी उन्नत,
राष्ट्र की तकदीर के ।
बनकर के कर्तव्य परायण,
निज कर्तव्य निभाना है ।
अखिल विश्व के जीव जनो पर,
प्रेम सुधा बरसाना है ।
तज कर बैर छल कपट अनृत,
सब को गले लगाना है ।
ऊंच नीच अरु जाति धर्म का,
भेद हमे बिसराना है ।
बाहों मे भरकर के उमंग,
सब बिघ्न समूल मिटाना है ।
संघर्ष नाम है जीवन का,
उससे न कभी घबराना है ।
मन को सुरसरि सा निर्मल,
तन वज्र समान बनाना है ।
निज सामर्थ्य मुताबिक सब को,
सब का साथ निभाना है ।
