अंजु लता सिंह

Drama

5.0  

अंजु लता सिंह

Drama

"हम पंछी एक डाल के"(कविता)

"हम पंछी एक डाल के"(कविता)

1 min
1.3K


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बोद्ध धर्मों की

रंग-बिरंगी मुक्ता-माला पहने मां कर्मों की,

भिन्न भिन्न हैं जाति, रंग, वेश, पर्व-त्योहार

जब भी होती रार कभी सिसके पीर मर्मों की।


अपने अपने ध्वज ले सारे नारा यही गुंजाएं

देश हमारा एक सभी हम मिलकर नेक बनाएं,

ऊं कार का नाम जपे, चांद सितारे सभी तकें

सूली पर चढ़ जाए सत्य, सत्गुरू को ही अपनाएं।


एक एक, एक को लेकर चले पथ पर निरंतर

'विभिन्नता में एकता' का फूंक दे कानों में मंतर,

विश्व में सेवा संदेशा घूमता फिरता रहे बस

सच्ची मानवता जगाएं मनुज हरदम ही परस्पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama