हम फिर कभी नहीं मिलेंगे....!
हम फिर कभी नहीं मिलेंगे....!
बिन धूप के ये फूल
शायद अब नहीं खिलेंगे
बिन मरहम के ये ज़ख्म
लगता हैं अब नहीं भरेंगे।
ये इश्क़ की आरजू है,
या बेफिजूल चाहत
दिल में दबी-दबी बात है,
या एक सुकून, राहत।
पता नहीं
कि क्या है
मगर लगता है,
आज के बाद हम
फिर कभी नहीं मिलेंगे।