हम बापू के हैं तीन बंदर
हम बापू के हैं तीन बंदर
मेरी आँखें बंद
रहने दो ,
कानों से नहीं
सुन सकता हूँ !
मुंह पर हैं ताले
लगे हुए ,
देख ,सुन ना
बोल सकता हूँ !
ना
अच्छे दिन
के सपने
कभी मैं
देख सकूँ !
ना विकास को
अपने माथे
मैं चूम सकूँ !
आँखों को पतली
चादर से
रातों में भी
ढक लेता हूँ !
मुंह पर हैं ताले
लगे हुए
देख, सुन ना
बोल सकता हूँ !
दर्द, व्यथा
और दुख का
क्रंदन मैं
सुन ना सकूँगा !
घृणित हत्याओं
के खूनी को
मैं ना जान सकूँगा !
परदे कानों के
फट चुके
नहीं कुछ मैं
सुन सकता हूँ !
मुंह पर हैं ताले
लगे हुए
देख ,सुन ना
बोल सकता हूँ !
मंहगाई, बेरोजगारी
और
भ्रष्टाचारी ने
पाँव जमाए !
देश में संपत्ति
की लूट मची
जनता के मुंह में
ताला लगबाए !
घुट-घुट के
मरता हूँ यारों
कुछ ना बोल
सकता हूँ !
मुंह पर हैं ताले
लगे हुए
देख ,सुन ना
बोल सकता हूँ !
मेरी आँखें बंद
रहने दो
कानों से नहीं
सुन सकता हूँ !
मुंह पर हैं ताले
लगे हुए
देख, सुन ना
बोल सकता हूँ !