हलचल
हलचल
ठहरे पानी में ऐसे हो गई हलचल
ख़ामोश दिल में मची उथल-पुथल
स्याह रातों में रौशनी बिखेरती चाँदनी
चाँद के दीदार को जैसे रही मचल
रूप उसका है सुन्दर कल्पना कवि की
श्वेतरंग किरणों संग जादुनगरी में चल
तय करना सफ़र मंज़िल को तलाशते
मोहब्बत की राह में ज़िंदगी ज़रा संभल।