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Garima Mishra

Romance

3  

Garima Mishra

Romance

हकीकत - फ़साना

हकीकत - फ़साना

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वो कोई हकीकत नहीं, वो एक फ़साना है

जिसकी हद में सारा ज़माना है

बस उसने एक मुझे ही नहीं जाना है।


वो कोई भरोसा नहीं जिसने मुझे आज़माना है

बस उसके भरोसे में मुझे डूब जाना है

मुझे खुद में उसका इतना यकीन पाना है।


वो कोई ज़न्नत नहीं, जहाँ मुझे मौत से होकर जाना है

वो एक गहरी नींद की सोच है

जिसे सुबह होते ही टूट जाना है।


नदियों सी बहती यारी है हमारी

जिसने टूट कर दो समंदर में मिल जाना है

वो कोई हकीकत नहीं, वो एक फ़साना है।



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