हिन्दुस्तान हूँ मुझसे मिलो
हिन्दुस्तान हूँ मुझसे मिलो
मैं तिरंगा हिन्द का यश गान हूँ मुझसे मिलो।
विश्व में रखता अलग पहचान हूँ मुझसे मिलो।
राम लक्ष्मण की धरा, श्री कृष्ण की हूँ भूमि मैं।
सूर तुलसी जायसी रसखान हूँ मुझसे मिलो।
योग की मैं पाठशाला ज्ञान गुण की खान हूँ।
चाँद पर पहुँचा हुआ विज्ञान हूँ मुझसे मिलो।
बोस, विस्मिल, हूँ भगत, अश्फाक, मुझको गर्व है।
तन से' मन से हिन्द पर कुर्बान हूँ मुझसे मिलो।
जो वतन की शान में दे दे खुशी से जान भी।
जात मजहब से अलग इंसान हूँ मुझसे मिलो।
हैं अनेकों रंग जिसके रूप अनगिन बोलियाँ।
"पुष्प" प्यारा मैं वो' हिन्दुस्तान हूँ मुझसे मिलो।
