शिक्षक
शिक्षक
शिक्षक की गोद में प्रलय पलता है
उनके छत्र छाया में नित नव निर्माण होता है
नमन करती हूंँ उन गुरुओं को ले जिनका आशीष
शिष्य सिंधु की गहराई ही नही अंबर की ऊँचाई मापता है l
प्रथम नमन प्रथम गुरु मेरी माँ को
जिनकी परछाई जिनकी कोख में पली
दूजा नमन मेरे गौरवशाली पिता को
जिनकी नेह भरी गोद में बिटिया बन खेली l
अब मुझे गढ़ने वाले महान गुरुओं को नमन
जिन्होंने मेरी तोतली बोली की कहानियाँ सुनी
जिनकी दिव्य ज्योति मार्गदर्शन और प्रीति से मैं 'अर्चना' बनी l
वो गणित की मैडम जिन्होंने पहाड़े,
गिनती ही नहीं जीवन की गणित समझाई
याद हैं मुझे संस्कृत वाले श्रीवास्तव सर
जिन्होंने कठोपनिषद का गूढ़ रहस्य बतलाया l
विल्सन मैडम जो अब नहीं हमारे बीच
उनके विषय में रही सदा कमजोर
भूगोल वाली 'शिरोमणि मैडम'
जिन्होंने पृथ्वी का भूगोल ही नहीं रिश्तों की अहमियत भी बताई l
सबसे मजेदार बी एड की पढ़ाई कक्षा अंग्रेजी में,
किताबें गुजराती में लिखती थी मैं हिंदी में
गुरुओं ने झंझावात तूफानों से लड़ना
बंद दरवाज़ों में सुराग बनाना सिखलाया l
गुरु ही थे जिन्होंने नरेंद्र को विवेकानंद बनाया
गुरु ने ही अंगुलीमाल डाकू को संत बनाया
चाणक्य की शिक्षा ने चंद्रगुप्त को समर जिताया
गुरु के सच्चे मार्गदर्शन ने नाविक पुत्र को मिसाइल मैन बनाया l
तिमिर नाशक प्रकृति का अद्भुत उजाला हैं
अपने ज्ञान से जो हमें रोशन करता है
वही है जो बिन किसी स्वार्थ के
हमारी जीत के स्वप्न सजाता।
बदले दिवस बदले निशा अंधियारी
बदले रीत बदले चाहे दुनिया सारी
मुदित नयनों में रखना गुरु का मान
करना दिल से सदा उनका सम्मान l
नज़र नहीं नजरिया बदलकर देख लो
हर नगर हर डगर में शिक्षक मिलते हैं l
सच कहती हूँ बात मेरी मान लो
गुरु की गोद में ही उत्थान - पतन दोनों पलते हैं l