STORYMIRROR

Dev Sharma

Inspirational

4  

Dev Sharma

Inspirational

ये ख्वाइशें

ये ख्वाइशें

2 mins
303


ख्वाइशों का क्या उठती हैं उठ जाने दो,

राजा बनकर राज करें तो कर जाने दो।

कभी छूती उड़कर नील गगन छू जाने दो,

कभी खुद मन की मौज बने बन जाने दो।।


अब तक जो मन भीतर कैद रहा,

उड़ता है वो कबूतर उड़ जाने दो,

सब झगड़ा गर स्वाह होना चाहे,

तो शांत मन तृष्णा को हो जाने दो।।


दुनिया सारी फिसलती रेत का घरौंदा,

फिसलता है समय तो फिसलने जाने दो।

होते हैं तेरे ख्वाब खाक सारे के सारे,

पर सपनों को मन भीतर पल जाने दो।।


सब झूठे जग ये रिश्ते नाते,

सब जलते हैं तो जल जाने दो।

होती हैं सांसे भारी तेरी तो क्या,

जादुगरिया मन चलता चल जाने दो।।


जो मन कहता तू मान उसकी,

सब ख्वाइशे मन पूरी हो जाने दो।

मन कहता जिसे भूल भुला कर,

बहता है बन झरना बह जाने दो।।


ये सब ख्वाइशें हैं पूरी हो न भी हो,

मन मैला हत उत्साह न होने पाए।

जिन सपने देखे तिन मंजिल पाई,

देख अश्क न आँखें तेरी भिगोने पाए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational