तुम लोहे के बने हो
तुम लोहे के बने हो
अगर कहूँ कि इस कोरोना काल
में ...तुम शिक्षक हर विपरीत हाल में
मुस्कुराते हुए अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर
आए नज़र ...तो ये अतिशयोक्ति नहीं होगी !!
कोरोना योद्धाओं की भूमिका निभाते हुए ...
आंकड़ों के रजिस्टर में हिसाब किताब की
पोथी में संख्याओं का हिसाब लगाते हुए ...
सर्वे के काम पर जाते हुए ...
लोगों से जानकारी माँगते हुए ...
तुमने अपनी मुश्किलों को ..अपनी निजी समस्याओं
को नजरअंदाज करते हुए अपने कर्तव्यों को
बखूबी निभाया ...
समाज में अपना शत प्रतिशत देते हुए ..
राशन वितरण केंद्र में राशन बाँटते हुए ..
आम व्यक्ति की परेशानी को समझते हुए ..
अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ..
समाज को आदर्श नागरिक की परिभाषा समझाते हुए
बहुत ही उत्तम व्यक्तित्व के गुणों से लैस नजर आए
सच तुम से ही होती है समाज को न जाने कितनी आशाएँ
तब लगता है कि तुम लोहे के बने हो !!
शिक्षक भाइयों ने तो सड़कों पर भी चालान तक
काटने की जिम्मेदारी भी निभाई !!
एयरपोर्ट के कार्यालयों में भी विभिन्न कार्यो में
मुस्तेदी दिखाई !!
इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को संभालना हो या डिस्पेंसरी
में टीकाकरण की हो बात
सभी शिक्षिको ने समझे समाज के जज़्बात
तब लगता है कि ये जो शिक्षक है क्या वे लोहे के बने हैं !!
मानती हूँ कि लोहे के बने नहीं हैं पर ...इनके बुलंद इरादे
लोहे से कम नहीं हैं ...
इनके बुलंद हौंसले आसमां से कम नहीं हैं
ये अपने सकारात्मक सोच से समाज को , छात्रों को
सदा दिशा प्रदान करते रहेंगे
अपनी आशावादी सोच से ये छात्रों को नित नवीन राह
दिखाते रहेंगे
क्योंकि प्रत्येक युग मे शिक्षक ही समाज में नवीन आदर्शों का नवीन सृजन का निर्माता कहलाएगा
और शिक्षक ही वह क्रांतिकारी जीव है जो शिक्षा के परचम
से समाज की सड़ी गली मान्यताओं को छोड़कर नवीन
आदर्शों की बयार चलाएगा
सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।