मातृभाषा हिंदी
मातृभाषा हिंदी
हे मातृ भाषा से प्रेम जिसे,
उसने निज स्वरूप को जान लिया,
हिंदी भाषा को जिसने त्यागा,
उसने देशद्रोह का पाप किया ।
गलत नहीं कई भाषाओं का ज्ञान ,
पर हिंदी भाषा क्यों भूल रहे तुम,
सुकून नहीं मिलेगा तब तक ,
जब तक मातृभाषा का गर्व न किया।
ऐसी मातृभाषा हिंदी ,
सब भाषाओं को जिसने थामा,
कभी तत्सम ,कभी तद्भव ,
कभी देशज ,विदेशज को स्वीकार किया ,
अंग्रेजी ,उर्दू ,फारसी ,संस्कृत ,
सब बोलियों को भी मान दिया ,
ऐसी भारत जननी भाषा,
तुम्हें नमन नतमस्तक शीश किया ।
गुलामी की जंजीरें टूटी ,
वीर सपूतों ने जो बलिदान दिए ,
हिंदी को बचाने की खातिर ,
संविधान में राजभाषा का नाम दिया ,
14 सितंबर 1949 से 71 वर्ष बीत गए ,
आज भी हिंदी का वजूद खोया ,
है बिलख रही देख अपनी हालत पर ,
गुलाम मानसिकता के कारण ,
हिंदी कहने में क्यों संकोच किया ,
पूछ रही भारत जननी ,
क्यों स्वाभिमान को छोड़ दिया ?
लॉर्ड मैकाले की शिक्षा ने ,
लोगों के मन पर राज किया ,
छोड़ मातृभाषा को तुमने ,
विदेशी भाषाओं से प्रेम किया ?
या तो देश प्रेम नहीं ,
या स्वार्थ ने भाषा पर पूर्ण अधिकार किया ,
पर याद रखो उन वीरों को ,
जो हिंदी के लिए मर मिट गए ,
हिंदी से हिंदुस्तान रहेगा ,
यह शिक्षा हम सब को देकर गए,
मूल है देश की हिंदी भाषा,
जिसने सबको बोलना सिखाया ,
मातृभाषा से प्रेम करो तुम,
जिसने सबको जननी सा अपनाया ।
हिंदी है हम हिंदी हैं हम
हिंदी से हिंदुस्तान बना।
