जगमग ज्योति ,जगमग जीवन
जगमग ज्योति ,जगमग जीवन
यह दीप की ज्योति जैसे,
देती ऊर्जा शक्ति और ज्ञान,
प्रेम, दया को जिसने माना,
जगमग हुआ उसका संसार ।
एक मन की आस है ज्योति,
एक मंदिर की शान है ज्योति,
एक तम का नाश है ज्योति,
एक खुशी व शक्तिरूप है ज्योति ।
जगमग–जगमग ज्योति जैसे ;
अंधकार को करती दूर ,
अपनी ज्वाला की रोशनी से ,
जीवन जगमग करती खूब।
तम का अज्ञान है जब बढ़ता,
तो राह हो जाती कठिन ,
तुम ज्ञान की ज्योति जलाकर,
दूर करना फैला जो है भ्रम ।
दीपों की ज्योति है बताती,
सदा प्रकाशमान बने रहना,
नहीं कभी अंधकार से डरना,
मेरी तरह जलते रहना।
दिया साथ बे सहारों का तो,
जगमग जीवन बन जाएगा,
अंधकार भागेगा जीवन से,
खुशहाल संसार हो जाएगा।
