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Saroj Garg

Classics

4  

Saroj Garg

Classics

हिन्दी

हिन्दी

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समवेत गान की सुन्दरता है,

 हिन्दी भाषा की क्षमता पर।

सक्षम सुगम सुसंस्कृत हिन्दी, 

राज करेगी सबके मन पर।।


असंख्य शब्दों की रसता है ,

सुदृढ सी हिन्दी भाषा में ।

विकसित राष्ट्र बने अब मेरा,

 मन की है ये अभिलाषा। 


समृद्ध राष्ट्र की है भाषा,

इतराते हैं हम इस पर,

 सक्षम सुगम सुसंस्कृत हिन्दी,

  राज करे सबके मन पर।


शब्दों का भंडार भरा है,

अपनी ऐसी भाषा है। 

 रस घुल जाता वाणी में जब,

 ऐसी मधुरम आशा है।


शब्द-शब्द में मधुरस टपके, 

 मेरी हिन्दी भाषा पर।

सक्षम सुगम सुसंस्कृत हिन्दी,

 राज करेगी सबके मन पर।


राष्ट्र कौनसा है दुनियाँ में, 

गौरव का अधिकारी है। 

 अपनी हिन्दी भाषा में ही,

 बसते कृष्ण मुरारी हैं। 


 जन-जन को जोड़े आपस में, 

 गर्व करो इस भाषा पर।

सक्षम सुगम सुसंस्कृत हिन्दी,

 रिज करेगी सबके मन पर।


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