आनंददायक
आनंददायक
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श्री राम मंदिर देखकर ,
लगती आनंद दायक ।
आओ मिलकर सभी चलें
दर्शन मिले रघुनायक ।।
अवध पुरी भी साज रही ,
लगती खूब मन भावन ।
तोरण वंदनवार लगे,
लगी देखकर सुपावन
दीपक कतार खूब जले ,
लगे देख सब सुहावन ।।
आज अयोध्या देख सभी ,
जन-जन होता लुभावन ।।
छंद लिखो सब सार भरे ,
हो सुन्दर शुभ कथानक।
प्रेम भाव उनमें भरते,
नाम मिले तब मुबारक ।।
संतों की वाणी सुन लो,
मन रस भरकर सुपावन ।
करना ईश्वर नमन सदा ,
बनी संस्कृति मनभावन ।