सागर
सागर
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सागर का संसार है,अद्भुत हैं भंडार।
रंग-बिरंगी मछलियाँ,देती खुशी अपार ।।
बच्चे खुश हो देखते,मन मोहे हर बार।
नहीं खुशी का पार है,बच्चों का संसार।।
सुन्दर किरनें आ रहीं, छन-छन के पाताल।
दिखता बड़ा सुहावना,बच्चे भूले चाल।।
जलचर का संसार है,करता भाव विभोर।
लगती प्यारी रौशनी,जैसे खिली सुभोर ।।
दिन भी लगता रात है,जैसे तारे रात।
इसी चमक को देखकर, बच्चे करते बात।।