हिन्दी कविता- अबकी बुखार चमकी
हिन्दी कविता- अबकी बुखार चमकी


बड़ी जान लेवा अबकी बुखार चमकी
न जाने कहाँ से बीमारी बिहार धमकी
लील चुकी सकड़ों जान मासूम बच्चों की
गरीबो कुपोषित असहाय असमय लपकी
मालूम था सरकार ये हादसा होने वाला है
समय रहते उपाय इसने मगर न कोई की
दोष दूसरों को देकर निकलना चाहते
शिक्षा दीक्षा प्रचार आहार मगर नहीं दी
ऊंची मंज़िले अस्पतालो क्या देखने की है
अंदर डॉक्टर दवा बेड सब लापता की
बड़ा दम भरते हम है शुसासन बाबू बड़े
ign-justify">बाद मौत मंत्री देते सबको मगर झपकी
पीएचसी सदर आंगनवाड़ी किस काम के
कुपोषण मिटाने जिम्मा जिन्हे दे रहे धमकी
लीची खाना गुनाह है तो खिलाया ही क्यों
भविष्य बिहार नौनिहाल लेते मौत डुबकी
अब भी जागिए सरकार कीजिये उपचार
दुख सुनाये किसे माफ कीजिये बात मुझकी
साल दर साल आंकड़ा देखिये मौत का
गिनती घटाते नहीं कमी किस बात की
गरीबी बेकारी बीमारी नाम बद बिहार का
जल्द मिटाइए कलंक कहे कर जोड़ी भारती