हिन्दी हमारी पहचान
हिन्दी हमारी पहचान
हिन्दी, हिन्दु हिन्दुस्तान
इसी से अपनी है पहचान।
हुआ जन्म जब आंखे खोले
लफ्जों पर बस हिन्दी डोले।
निशदिन बढ़े है यह अभिलाषा
बने जन-जन का गौरव यह भाषा।
हमारी संस्कृति से पहचान कराती
एक डोर में है सबको बांधती।
उन्नति के है द्वार ये खोलती
सरस सहज वाणी को बनाती।
तुलसी,सूर और है मीरा की तान
रहीम, कबीर जायसी की जुबान।
शुद्ध सरल,है भावों की अभिव्यक्ति
छिपा इसी में है, प्रेम ,राष्ट्रभक्ति ।
मान और अभिमान है हिन्दी
वाणी की शोभा और माथे की बिन्दी।
हिन्दी दिवस पे, आज शपथ ये खायें
लिखे हिन्दी में और जुबां पर लायें।।
