मां शेरावाली
मां शेरावाली
आ गयी है मां शेरावाली
महिमा जग में जिनकी निराली ।
लाल चुनरी ओढ़े है मैया
हस्त कपाल ले चले भैरो भैया।
हाथ त्रिशूल और शेर सवारी
कुञ्चित केश,आंखे कजरारी।
मुख मण्डल पे सूरज की लाली
नथ, गजरा,झुमका है आली ।
हार गले औ माथे पे बिंदिया
प्यारी लगे है,मां की मुरतिया ।
विपत्ति पड़ी जब भक्तों पर
आ जाये मां नव रूप रचकर।
दुख पीड़ा सब हर लेती है
सुख सम्पदा सबको देती है।
शुंभ-निशुंभ तुम असुर संहारे
रौद्र रूप धर महिषासुर मारे।
आदिशक्ति मां जगदम्बा की
सिंहवाहिनी जय चामुंडा की।
महिमा तेरी निशदिन हम गाते हैं
दर पे आके तेरे,शीश नवाते हैं।।
