राखी की डोर
राखी की डोर
*बूंद-बूंद जीवन*
सारा जग है,इससे चलता
बूंद-बूंद अनमोल है इसका,
जलधि कूप हो या झील सरोवर
जल से ही जीवन है चलता।।
जल अपव्यय की राह चुनो ना
हर बूंद का तुम रक्षक बन जाओ,
धरती की प्यासी अधरों को
जल-संरक्षण से प्यास बुझाओ।।
निश-दिन नलिका से टपक रहा जो
व्यर्थ बहाएं न वो जल,
बच्चों को भी यह सीख सिखायें
यही बनेगा जीवन का सुखद कल।।
अगर न होता यह अमृत जल
होती न फिर नदियों की कल-कल,
प्यासे खग की तपन न बुझती
रहते न धरा पर जीव औ तरुतल।।
जल-संचय की तकनीक अपनाकर
करो अपने उपभोग पर नियंत्रण,
आने वाले कल की सोचो
करो धरा पर जल-संरक्षण।।
🖋️🖋️ डॉ.नीलम सरोज'खुशबू'
