ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
कभी सुख का सबेरा है
तो कभी दुख की घनेरी रात।
हर दिन नया पन्ना है जोड़ती
ज़िन्दगी है एक ऐसी किताब।।
एक मुसलसल सफर ये जिंदगी
जो नित नये मोड़ है लेती ।
अनमोल रचना है,ये कुदरत का
हर दिन नये शब्दों से है सजती।।
हर किसी की अपनी पटकथा
है हर किसी का अपना किरदार।
गिरकर भी जो मुस्कुरा दे
करें ज़िन्दगी उसी से प्यार।।
आंखों में है अनगिनत सपने
दिल में भी है तुफान
न रूकने की अब जिद है
न थकने का अरमान।।
ज़िन्दगी हर मोड़ पे है कुछ सिखाती
हर गलतियों से ही समझ बढ़ाती
जो सह ले तकलीफों को मुस्कुराकर
ज़िन्दगी उसी को, है राह दिखाती।।
✍✍✍ नीलम सरोज'खुशबू'
