नूतन वर्ष का अभिनन्दन
नूतन वर्ष का अभिनन्दन
जीवन के नूतन वर्ष का हो अभिनन्दन
हुआ है नव विहान नव स्वप्न निर्माण लिये।
इक्कीसवीं सदी के इस नये साल में
मन जाग्रत कर, नव अरमान लिये।।
अकिंचन है, लाचार हैं जो, उनके लिये
समरता और मानवता का प्रेम लिये
जीवन के नूतन वर्ष का हो अभिनन्दन
प्राणि जगत में प्रेम का भाव लिये।।
विश्व पटल के रंगमंच पर
वसुधैव कुटुम्बकं का गान लिये।
मां भारती के श्रीचरणों में,
भक्ति, श्रद्धा का भाव लिये।।
हर युग, हर क्षण जो छले गये,
उनके प्रति निश्छल, दयाभाव लिये,
जीवन के नूतन वर्ष का हो अभिनन्दन
नारी-उत्थान का दृढ़ प्रतिज्ञ लिये।।
सत्तान्ध हुये , जो मदान्ध बने हैं
शेवट कर उन्हें, अडिग भाव लिये।
निर्बल का बल बन जा तू,
रोटी, शिक्षा, सम्मान लिये।।
स्वेद बन रक्त, है जिसका बहता,
उन कृषकों के, कल्याण के लिये
जीवन के नूतन वर्ष का हो अभिनन्दन
हुआ है विहान, नव स्वप्न निर्माण लिये।।
