भव पार कर
भव पार कर
नवरात्रि पर विशेष
भव पार कर
भक्तिमय हो गयी,ये दुनिया सारी
आ गयी मैया, कर शेर सवारी ।
सज रहे चहुं ओर मन्दिर
और सज रहे पण्डाल।
भजन, आरती करते भक्त
और बजाते ढोल करताल ।।
कोई चढ़ावे मोदक नारियल
कोई लाया फूलों का हार।
कहीं, भजन कहीं जागरण
हर ओर है मैया की जयकार ।।
अरुण वस्त्र का है आभरण
शीश-मुकुट बिंदिया लिलार।
लाल चुनरी ओढ़े मैया
औ गले में नवलख हार।।
ऋतु-परिवर्तन का संदेशा लेकर
पावन माह, मैया का आया है।
मां भवानी के नवरूप निरखकर
अन्तर्मन सबका मुस्काया है।।
आदिशक्ति तू जगज्जननी
तम हर, पुण्य प्रकाश कर ।
हाथ त्रिशूल ले बन रणचण्डी
दुष्टों-पापियों का संहार कर।।
विनती करूं मै बारम्बार
बस इतना उपकार कर।
चहुं ओर शान्ति विसरित कर
विश्व का कल्याण कर।।
लेकर मन में ख्वाहिश का समन्दर
द्वार पे आयी तेरे, मैं थक हारकर।
नवरात्रि' में मैं करूं अर्चना,
भवसागर से मुझे पार कर।।
