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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

4.0  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

हिंद की माटी से

हिंद की माटी से

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तिलक कर रहा हूँ, हिंद की माटी से

भाग्य चमका रहा हूँ, हिंद की माटी से

हिंद की धरती पर मेरा जन्म हुआ है,

लगा है बरसों बाद पुण्योदय हुआ है

ख़ुशनसीब हो रहा हूँ, हिंद की माटी से

ये धरती त्याग की है, ये बलिदान की है,

गौरवान्वित हो रहा हूँ, हिंद की माटी से

तिलक कर रहा हूँ, हिंद की माटी से

फ़लक समझ रहा हूँ, हिंद की माटी से


गणित-विज्ञान की बात जब आती है

ज़हन में हिंदुस्तान की बात आती है

गणित-शून्य दे रहा हूँ, हिंद की माटी से 

शल्यक्रिया दे रहा हूँ हिंद की माटी से

बात कर रहा हूँ, मैं जब अध्यात्म की

सबसे पहले सभ्यता आती हिंद की

तिलक कर रहा हूँ, हिन्द की माटी से

पुरातन समझ रहा हूँ, हिंद की माटी से

हर चीज में आगे है, रण में चाहे कण में

बना रहा निशाँ पत्थरों पे, हिंद की माटी से

ख़ुद मान रहा जन्नत में, हिंद की माटी से

तिलक कर रहा हूँ, हिन्द की माटी से



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