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हिमांश

हिमांश

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मुख पे क्रोध भी हो तेरे

भाव में आवेश हो तेरे

पर टूटता है जब भी मन

भीतर तू तब रोता तो है


हम सब में कहीं

एक हिमांश होता तो है



स्वर कठोर हो तेरे

और बातों में तेज हो तेरे

पर एक निश्छल बच्चा

तुझ में भी सोता तो है


हम सब में कहीं

एक हिमांश होता तो है



अभिमान भी है चाँद में

भले बना चट्टान से

पर अपनी शीतलता से

दुनिया को भिगोता तो है


हम सब में कहीं

एक हिमांश होता तो है...।


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