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Savita Gupta

Romance

4  

Savita Gupta

Romance

हेमंत मास

हेमंत मास

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विदा हो गया हेमंत मास,बाँह वसंत पसारे है।

आया है ऋतुओं का राजा , धरा पर ख़ुशी छाई है।


नवल पात तरुवर पहने हैं ,उतारे सूखे वस्त्रों को।

हंस वाहिनी कमल विराजे,थामें आई वीणा को।


मंद मंद बहती पुरवाई,बाग हर्षाए कलियों से,

सुध बुध खोए गोरी देखो,पियरी ढलके आँचल से।


हरी चुनर घाघरा खेत की,लहर लहर लहराए है,

मलय मानो केश संवारे,अलके हरे रिझाए है।


अनुपम छटा चहुँओर फैली ,धरती लागे सुंदर है,

फाग गा रहा मन उपवन में ,साजन मेरे बाँहों है।


चंचल चितवन चढ़ता यौवन ,आज बहकता जाए है,

रास रंग में रतिसुख महके,कोयल कू कू गाए है।


अमवा की रसभरी मंजरी ,मोतियन गुँथी गमकत है।

ख़ुशबू मोहक मादक सी है ,हिय से गगरी छलकत है।


महुआ सा तन हुआ चंचल,भँवरों का मन भरमाया।

मकरंद मधु पान करता है,रास गोपी ने रचाया।



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