हे मुरलीधर तुम प्राण में.....
हे मुरलीधर तुम प्राण में.....
हे मुरलीधर!....
तुम शामिल हृदय की गहराइयों के सम्मान में
विराजमान कान्हा तुम्ही मेरे अंतर्मन में प्राण में
अविरत चलती जीवन धारा समायें प्रति पल ध्यान में
विचलित ना हो मन मेरा तुम ऐसे बसे हो प्राण में
परमात्मा का अंश तुम समायें वेदों के भी ज्ञान में
शब्द-शब्द गीता सार वेद वचनों संग सुनायें प्राण में
समर्पण का सागर लिये मुरली की मधुर तान में
मयूर पंख धारण मस्तक पे प्राण बसायें प्राण में
श्रद्धा के फूल चढ़ाऊँ प्राण समर्पित हर वरदान में
पुलकित हृदय लिये प्राण पखेरू उड़ चले प्राण में