हदें हैवानियत
हदें हैवानियत
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हैवानियत अपनी हदें पार कर गयी...
मासूम बच्चियों के बचपन..
तक को निगल गयी..
या ख़ुदा ये कैसा दौर आया..
लोग कलियों तक को नहीं छोड़ते..
रौंद देते है, नोंच खाते हैं..
फिर छोड़ देते हैं..
सड़कों पर मरने के लिये..
या उम्र भर का दर्द सहने के लिये...