हाय हाय सर्दी
हाय हाय सर्दी
हाय हाय यह सर्दी,
नये साल की मर्जी,
देखो भईया सब लोगों,
नये साल की सर्दी।
मुरझाये पौधे कंपन से,
शीतलहर में ओढ़े कफन से।
हर तरफ हांड मास कप कंपाते,
देश की गरीबी में कहां बच पाते।
हाय हाय यह सर्दी,
नये साल की मर्जी,
देखो भईया सब लोगों,
नये साल की सर्दी।
मुरझाये पौधे कंपन से,
शीतलहर में ओढ़े कफन से।
हर तरफ हांड मास कप कंपाते,
देश की गरीबी में कहां बच पाते।