हार जाती हूँ
हार जाती हूँ
तुम्हें पता है
मैं जीत सकती हूँ
पर हार जाती हूँ
तुमसे ही तुम्हारी
आजमाइश करवा कर
हर बार हद से
पार जाती हूँ
आता नहीं कुछ हाथ
देता नहीं कोई साथ
फिर भी
उन्हीं पुराने रास्तों पर
बार बार जाती हूँ
तुम्हें पता है...
है मेरी कोशिशों का अंजाम ये
कि मेरे दुश्मनों को भी
मुझसे मोहब्बत हो गई है
पर इतनी सिरफिरी हूँ मैं कि
खुद की हसरतों पर
खुद से ही खंजर
मार आती हूँ
तुम्हें पता है मैं
जीत सकती हूँ
मगर...
ये रियासत ये धन दौलत
ये अमीरी तुम्हारी
जो मैं दावा ही कर दूं
मेरी हो जाएं
तुम केवल शराफत का
दिखावा भी जो करते हो
मैं दावा छोड़ देती हूँ
ठोकर मार आती हूँ
तुम्हें पता है कि
मैं तुमसे जीत सकती हूँ
पर हार जाती हूँ
मत मुस्कुरा तू
इस झूठी जीत पर अपनी
मैं तो जिससे प्यार कर लूँ तो
जीवन वार जाती हूँ।
तुम्हें पता है
मैं तुमसे जीत सकती हूँ
पर....