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Amit Kumar

Romance

4.6  

Amit Kumar

Romance

हाँ,वो तुम ही हो

हाँ,वो तुम ही हो

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167


मेरी छोटी सी दुनिया का

एक बड़ा सा हिस्सा हो तुम

मैं ज़मीं तो आसमां हो तुम

माना मुझे जन्म मेरी माँ ने दिया


पर इतने रूठने और टूटने के बाद भी

संभलना सिखाया है तुमने

तुम मेरी हर खुशी की कामना करती हो

जब भी झगड़ लूं तुमसे,


खुद रोकर भी मुझे हँसाती हो

माना मैं रातों को कई दफा अकेला चला

जिंदगी में तनाव के बोझ से मैं खूब दबा

ऐसी स्थिति में भी संभलना सिखाया है तुमने

खुद आसूं पीकर दर्द को छिपाकर,

हंसना सिखाया है तुमने


हाँ तुमने बस तुमने मेरी

ज़िन्दगी में प्यार के रंग भरकर

एक नई तरह से जिंदगी जीना सिखाया है तुमने

मेरे गुस्से और तिरस्कार को भी प्यार ही माना है तुमने


मेरे हर कसम के बाद भी मेरा साथ निभाया है तुमने

हाँ वो

तुम ही हो जिसने

ज़िन्दगी का मर्म सिखाया है मुझे

देककर मुझे खुशियाँ,

हर गमों के दर्द को छिपाया है तुमने,


मेरे साथ ज़िन्दगी भर चलने का वादा कर,

हर साथ निभाया है तुमने

और हाँ वो तुम ही हो जिसने मुसीबतों से लड़कर,

हँसकर जीना सिखाया है तुमने

और कहती रही मैं खुश हूं,


और तुम्हारे इन्हीं आंखों ने हाल ए दिल

बयां कर हर दर्द दिखाया है मुझे

जिंदगी के हर पायदान में गिरकर

संभलना सिखाया है तुमने मुझे


मुझे हंसा कर भी खुद को रुलाया है तुमने

वह मेरी बड़ी से बड़ी गलती को भी हंसकर बुलाया है तुमने

कसम से असली प्यार का मतलब क्या होता है

यह बात अच्छे ढंग से बताया है मुझे तुमने

हाँ वो तुम ही हो जिसने मुसीबतों से लड़कर,

हँसकर जीना सिखाया है तुमने।


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